Saturday, September 24, 2011

व्यंग्य जाँच जारी है...........




                                                                                                  नवीन चन्द्र लोहनी
जाँच चल रही है, प्रतीक्षा कीजिए।“
”समिति व्यस्त है, कुछ सदस्य विदेश गये हैं, जाँच का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।“
”जाँच का कार्य कुछ दिन के लिए स्थगित, समिति के अध्यक्ष का देहावसान, नये अध्यक्ष के लिए जाँ....।“
”समिति का एक तिहाई काम पूरा, समय फिर पाँच साल के लिए बढ़ाया गया।“
”जाँच समिति बर्खास्त, नये सिरे से जाँच शुरू।“
ऐसी हजारों सुर्खियाँ साल भर में पाठकों को अखबारों, दर्शकों को दूरदर्शन तथा श्रोताओं को आकाशवाणी से परोसी जाती हैं। जाँच समितियों का कार्य बड़ा पेचीदा बताया जाता है। जाँच समिति में कुछ न कुछ नया लफड़ा खड़ा करने के स्रोत तलाशे जाते हैं, बहरहाल जाँच चालू रहती है........।
एक जाँच समिति बैठी, पता चला कि किसी दफ्तर की फाईलें कुतरी हालत में पायी गयी। सुबह से शाम तक दफ्तर का अमला व्यस्त रहा कि कैसे इन फाईलों को ”राइट आफ“ करवा दें। वर्ना जाँच समिति बैठ जायेगी। परन्तु अपने देष की दुरुस्त गुप्तचर व्यवस्था के कुछ पैने चष्मे वाले जाँच अधिकारियों को भनक लग गई। जाँच समिति बैठ गई। फिंगर प्रिंट विशेषज्ञ, जासूसी कुत्तों, के विशेष दस्ते साथ में लगाये। काम तेजी से चलने लगा। विदेशी हाथ की खोज शुरू हुई, दो-तीन चपरासी और क्लर्क नुमा पदधारी लापरवाही के आरोप में सस्पेंड हो गये। (उन्होंने दफ्तर के ऐन गेट पर अपना दूसरा धन्धा चला लिया।) परन्तु जाँच चलती रही। शहर में रहने वाले ”ब्लेक लिस्टेड“ लोगों पर नजर रखी जानी लगी। शहर तथा उसके आसपास रहने वाले विदेशियों के वीजा पासपोर्ट चेक हुए। विदेशी हाथ की सम्भावनाओं को खोजा गया। कुतरी फाईलों के चूरे को देष के सबसे बड़े रासायनिक शोध केन्द्र को भेजा गया। वैज्ञानिकों द्वारा इसमें तो महज किसी चूहे या ऐसे ही जानवरों द्वारा कुतरे होने की सम्भावना व्यक्त की गयी। चूहे के बालों, मल आदि का जिक्र भी रिपोर्ट में था। वैज्ञानिकों ने राय दी कि इतनी खतरनाक फाईलें कुतरने के बाद तो चूहा खुद व खुद मर गया होगा। (गोपनीय आख्या में यह बात भी अंकित की कि वह कोई भारत के नेता अफसर थोड़े ही हैं, सारा का सारा उड़ा जायें और मस्ती भी छानते फिरें।)
संसद में रिपोर्ट पर हंगामा हुआ। विपक्षी और पक्ष दोनों कश्मीर मुद्दे की भांति इस जाँच के एकदम खिलाफ थे, उन्होंने पाया कि इसमें चूहे को प्रतीक बनाकर हमारे चरित्र हनन की मानसिकता झलकती है। सदन में घ्वनिमत से प्रस्ताव पारित हो गया कि जाँच कार्य में लगे वैज्ञानिकों की रिपोर्ट एकदम अवैज्ञानिक है। इसमें किसी विदेशी हाथ की गन्ध आती है। वैज्ञानिकों को कठोरतम दण्ड देने का प्रस्ताव भी तालियों की गड़गड़ाहट व मेजों की थपथपाहट के बीज पारित हो गया।
नया वैज्ञानिक दल इस बात पर केन्द्रित कर दिया गया कि फाइल में चूहों की घुसपैठ की सारी सम्भावनाओं पर विस्तृत जाँच करे और सावधान भी कर दिया गया कि भविष्य में प्रजातन्त्र के प्रातः स्मरणीय ‘नेतावर्ग‘ पर दोष लगाने का हश्र पूर्व जाँच समिति की भांति होगा। सत्ता पक्ष ने अपनी ओर से सदन के नेता को यह प्रस्ताव भी दे दिया कि भविष्य में अगर कोई भी व्यक्ति चूहे, सियार, बिल्ली, गधे, कुत्ते, लोमड़ी या ऐसे ही किसी अन्य जानवर से उसका सम्बन्ध जोड़े तो उसकी नागरिकता समाप्त की जाये। (विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि यह रिपोर्ट आगामी सत्र में सदन के समय विधेयक के रूप में पारित करा ली जायेगी)
हाँ, तो इस बीच जब तक कि नये वैज्ञानिक दल पुनः कार्यभार सम्हालता जाँच में विदेशी हाथ की सम्भावनाअें पर खोज करने दल के अनेक सदस्य विदेशों में अनेक शहरों में घूम आये (ध्यान इसमें इतना रखा गया कि जिस जाँच कर्ता के पुत्र-पुत्रियों पत्नी-प्रेमिकाओं ने जो स्थान पूर्व जाँ कमेटी के बतौर सदस्य नहीं देखे थे उन्हें वहाँ भेजा गया, इसका कारण बताया गया कि कोई स्थान पूर्व से न देखे होने के कारण उनकी जाँच में कोई पूर्वाग्रह, स्थानीय मेलजोल दबाव नहीं चलेगा।) जांच समिति ने खूब कसरत की। विदेशी शहरों में घूमते हुए उन्हें वहाँ के दूतावासों से लेकर देश तक सारे लोगों ने हाथों-हाथ लिया। बताने की जरूरत नहीं कि उन्होंने विदेशी हाथ खोजने के बजाए पिकनिक का लुत्फ उठाने में ही अपना कीमती समय लगाया। बतौर भारतीय प्रतिनिधि वे कुछ बड़ी टोपियों और टोपों से मिल आये। (उनके फोटो दूरदर्शन में आप देख ही चुके हैं।
इन सब जाँच सूबों की रिपोर्ट की प्रतीक्षा से पूर्व फिर संसद में हंगामा होने लगा, विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाये कि इसमें गहरी साजिष है क्योंकि जिस अलमारी में ये फाइलें थी, वे बाहर निकले चूरे को वैज्ञानिकों को भेजने के बाद से बंद थीं। हंगामांे के कारण सत्ता पक्ष अपने साल भर के पिकनिक का नया बजट पास नहीं कर पा रहा था, अतः आलाकमान ने उच्चस्तरीय नेताओं के साथ विचार-विमर्श कर न्यायाधिकरियों के समक्ष अलमारी खोलने का निश्चय किया। यूँ तो बैठक में सारी स्थितियों का आकलन करने के बाद अलमारी खोलने मंे सत्तापक्ष की गत बिगड़ने के आसाार बाताए गये थे। पर ईमानदार शिखर पुरूष ने जब कांपते हाथों से दूरदर्शन की मौजूदगी में मुस्कराते हुए सील तोड़कर ताला खोला, तो अन्दर से अनेक तरह की गुर्राहटें आने लगी। भयभीत ”आलाकमान“ ने जब तक कुछ प्रतिक्रिया व्यक्त करने हेतु स्वयं को संयत किया अलमारी खुल चुकी थी। दूरदर्शन के कैमरामैन, स्वदेशी-विदेशी पत्रकार, पुलिसिए, सम्मानीय नेतागण देखते रह गये। कुतरी गई फाईल का नाम था ”राष्ट्रीय एकता“ और कुछ टोपियाँ, कुछ पगड़ियाँ, कुछ दाड़ियाँ, कुछ झण्डे और कुछ डण्डे थामें चूहे एक स्वर में चिल्लाए ”हम भारत के नेता नहीं हैं, अखबारों के लिए कल का हमारा यही बयान है।“ राष्ट्रीय एकता की यह अद्भुत मिसाल देखते ही आलाकमान के दूरदर्शी चेहरे की मुस्कान फीकी पड़ गयी।
पीछे खड़े पी0ए0 की सलाह को मानकार आलाकमान ने तुरन्त अलमारी को पुनः सील करने का फरमान जारी किया। अलमारी बन्द होते ही ”देश“ नाम फाईल जोर से बिलबिलाई। टोपियाँ, दाड़ियाँ, पगड़ियाँ फिर फाईलों में मुँह डालकर अपना भोजन तलाशने लगी। अलमारी में रखी ”राष्ट्रीय एकता“ वे ‘देश‘ नामक फाईलें आंसू बहाती रही।
आलाकमान ने एक और बैठक सम्बोधित की और जोर देकर कहा ”अखबारों की सुर्खियों में छपी वे सभी खबरें भ्रामक हैं जो देश व राष्ट्रीय एकता के संकट में होने की बातें बताती हैं। हमने देश व राष्ट्रीय एकता को अलमारी में सुरक्षित सील के अन्दर बन्द किया है ताकि कोई भी शरारती तत्व इनसे छेड़छाड़ न करे। कुछेक समाचार पत्रों में देश के ‘महान‘ लोगों को चूहे की शक्ल में फाइलें कुतरते दिखाया गया है, यह चरित्र हनन का प्रयास है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। जो भी अलमारी के अन्दर फाइलों के साथ देखे गये थे, वे सत्ता पक्ष के सैनिक हैं। उनकी राष्ट्रभक्ति पर उंगली उठाना देशद्रोह है। सम्पूर्ण कुतरन को जाँचने हेतु समिति गठित कर दी गयी है परन्तु यह अभी स्पष्ट कर दिया जाता है कि इसमें किसी भी जनतन्त्र समर्थक महान नेता या दल का हाथ नहीं है। विपक्षी दलों में कुछ विदेशी एजेन्ट जरूर हैं उनकी जाँच हेतु कमेटी बैठा दी गयी है जैसे ही रिपोर्ट प्राप्त होगी, आम जनता को सौंप दी जायेगी। ‘देश‘ और ‘राष्ट्रीय एकता‘ दोनों स्वस्थ हैं। कार्टनों और व्यग्यों के माध्यम से इन्हें अस्वस्थ कहने वाले पत्रों और पत्रकारों पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया जायेगा। कुतरन में लगे हर अपराधी को कड़ा दण्ड दिया जायेगा। .........हमारा देश महान है, हमारी परम्परा महा है......... बहरहाल अखबारों में छपी यह रिपोर्ट भी गलत है कि जाँच का काम बन्द कर दिया गया है, बल्कि जाँच को भिन्न-भिन्न सिरों से खोल दिया गया है। सभी समितियाँ जाँच कार्य में व्यस्त हो गयी हैं। हमें आज्ञा है जनता धैर्य से जाँच समिति के प्रतिवेदन की प्रतीक्षा करेगी। जाँच जारी है........................।
(बयान खत्म होते ही जनता ने देखा कि कुछ नेतानुमा लोग फिर ”राष्ट्रीय एकता“ वाली अलमारी में जाने के लिए बिलों की ओर दौड़ लगा चुके थे, अचानक दूरदर्शन में एक पट्टी चढ़ गयी ”रुकावट के लिए खेद है।“
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