Tuesday, October 12, 2010

हिंदी हैं हम।

हिंदी हैं हम

                        पिछले कई महीनों से एक ही भूत सवार था कि राष्ट्रमंडल खेलों जैसे आयोजन में भारत की भाषा हिंदी के प्रयोग को लेकर क्या हो.... सभी मित्रों से कहा , लिखा, मेल किए, गाहे बगाहे फ़ोन किए ... मिले .... अपना पागलपन कई तरह से बांटा ....... कुछ सथियौं ने अपनी ओर से भरपूर सहयोग दिया .... कुछ को लगा बकता है, कुछ ने कहा हिंदी मास्टर है...... इनकी सोच एईसी ही है आखिर अंतर्राष्ट्रीय आयोजन है भारत में अब अंग्रेज खूब हो गए हैं वे सत्ता में हैं ......वे जनता की जबान न जानने से ही बड़े दीखते हैं ..... उनकी ही भाषा चलेगी जयकारा भी इस देश में उनका ही होता है जो अंगरेजी बोलता है ......हद तो तब हुई जब सरकार ने इसी कार्य के लिए रखे एक सरकारी अधिकारी ने कहा की वह उत्तर प्रदेश का है हिंदी जानता है पर हिंदी प्रयोग के समर्थन में न बोलेगा न लिखेगा....... वह बेहद तल्ख़ टिप्पणी कर रहा था ऐसे आयोजनों में हिंदी प्रयोग को लेकर ...... कुछ सांसदों की मदद मिली उन्होंने संसद में सवाल पूछे ...... सरकार के कण तब भी पूरी तरह से नहीं खुले .....कुछ हिंदी उद्घाटन समारोह में हिंदी सुनी ..... पर जब कलमाड़ी जी से लेकर प्रधानमंत्री जी और राष्ट्रपति जी तक अंग्रेजों के राजा रानी को उन्ही की जबान में बोलते सुने गए तो एहसास हो गया कि अंग्रेजों के राष्ट्रमंडल में उनकी जबान बोलने का अलग इनाम मिलता होगा .... उद्घाटन समारोह में तो हमारे सारे नेता हिंदी भूल ही गए ....अब समापन समारोह होगा ... समापन समारोह में भी नेता जी लोग फिर से वही करेंगे पूरी उम्मीद है ... आखिर अंग्रेजों को प्रभवित करना है दुनिया को बताना है की आपकी जबान की बदौलत ही हम जबान वाले हैं ........
               भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को इन समारोहों में हिंदी में संबोधन करने के सुझाव कई संस्थाओं की ओर दिए गए थे ......पर जब अंग्रेज सामने हो तो हम अपनी जबान क्या याद रख पाते हैं हमारे नेताओं के साथ भी यही हुआ होगा ......... जय हो .... जय हो... कार्यक्रम हिंदी में हो सकते हैं ..... नेताओं को जनता का मनोरजन करना होता है ..... उनकी जबान हिंदी नहीं हो सकती ..... वोट मांगते समय वे हिंदी बोल सकते हैं ..... शायद उनको अब भी हिंदी मांगने की ही भाषा लगती हो .....अपने देश की सरकारें कौन सी भाषा बोलती हैं यह तो देख लिया .... आप भी उनसे सहमत हैं नहीं????????? तो यह संवाद जारी रहेगा जब भी आपको लगे कि देश की भाषा बोली जाए ,,,, सुनी जाए,,,,, लिखी जाए ,,,, तो आवाज दें ,,,,, .........



एक सही आवाज देने के क्या... हम तैयार हैं .........


आखिर हिंदी हैं हम।


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प्रोफ.नवीन चन्द्र लोहनी


09412207200

1 comment:

  1. भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को इन समारोहों में हिंदी में संबोधन करने के सुझाव कई संस्थाओं की ओर दिए गए थे ......पर जब अंग्रेज सामने हो तो हम अपनी जबान क्या याद रख पाते हैं हमारे नेताओं के साथ भी यही हुआ होगा ......... जय हो .... जय हो... कार्यक्रम हिंदी में हो सकते हैं ..... नेताओं को जनता का मनोरजन करना होता है ..... उनकी जबान हिंदी नहीं हो सकती ..... वोट मांगते समय वे हिंदी बोल सकते हैं ..... शायद उनको अब भी हिंदी मांगने की ही भाषा लगती हो .....अपने देश की सरकारें कौन सी भाषा बोलती हैं यह तो देख लिया .... आप भी उनसे सहमत हैं नहीं?.........सर बहुत खूब व्यंग किया आपने ...नेता ही क्यों अभिनेता/ अभिनेत्री भी इसी श्रेणी में आते हैं ......!!

    प्रणाम !

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